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दिवाली की महत्वता
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत और दुनिया के कई हिस्सों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है। यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है और अच्छाई की बुराई पर विजय को दर्शाता है। दीपों से सजने वाली इस रात को हर घर में रोशनी का उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से भारत में विभिन्न धार्मिक समुदायों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन हिन्दू धर्म में इसका विशेष महत्व है।
दिवाली का आयोजन मुख्यतः भगवान राम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में होता है, जब उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की थी। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिए घर-घर दीप जलाए थे। इसी कारण दीपों का त्योहार “दीपावली” कहलाया। इसके अलावा, इस दिन को भगवान कृष्ण ने नरकासुर पर विजय प्राप्त की थी, और वह भी दिवाली के दिन मनाया जाता है।
दिवाली की तैयारी
दिवाली से कुछ दिन पहले ही घरों में साफ-सफाई शुरू हो जाती है। माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी माता का आगमन होता है, और इस दिन घर की साफ-सफाई से घर में सुख-समृद्धि आती है। महिलाएं और बच्चे घरों की सजावट के लिए रंग-बिरंगे दीपक, मोमबत्तियां, और रंगीन लाइट्स लगाते हैं। घरों में फूलों की मालाएं, रांगोली और विशेष पकवान तैयार किए जाते हैं।
दिवाली की रात विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा के लिए जानी जाती है। इस दिन घर के मुख्य स्थानों पर दीप जलाकर और विशेष पूजा करके देवी लक्ष्मी को घर में समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
दिवाली की खुशियाँ
दिवाली का दिन न केवल धार्मिक पूजा का दिन होता है, बल्कि यह रिश्तों की गर्मी और मित्रता को भी प्रगाढ़ करता है। लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं, मिठाईयों का आदान-प्रदान करते हैं और एक साथ खाना खाते हैं। बच्चों के लिए यह दिन खास होता है, क्योंकि वे पटाखे फोड़ते हैं और रंगीन बत्तियों से रात को रोशन करते हैं। इस दिन हर गली, मोहल्ले और घर में उल्लास का वातावरण होता है।
दिवाली की रात को आकाश में रंग-बिरंगे पटाखों का दृश्य होता है। लोग आकाश में आतिशबाजी करते हैं, और आस-पास के क्षेत्रों में यह एक खूबसूरत नजारा बन जाता है। पटाखों की आवाजें, उनकी रोशनी और रंगबिरंगे आकाश में उड़ते सितारे दिवाली के त्योहार की खुशियों को और भी बढ़ा देते हैं।
दिवाली और पर्यावरण
हालांकि दिवाली का त्योहार खुशी का प्रतीक है, लेकिन पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव को लेकर भी जागरूकता बढ़ी है। तेज़ पटाखों से होने वाले प्रदूषण और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को लेकर कई लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं। अब कई लोग पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए, सस्ते और कम शोर वाले पटाखों का चयन करते हैं, ताकि पर्यावरण पर कम से कम नकारात्मक प्रभाव पड़े।
इसके साथ ही, कई लोग इस त्योहार को डिजिटल रूप से मनाते हैं, जहां पटाखों के बजाय लोग ऑनलाइन शुभकामनाएँ भेजते हैं और परिवार के साथ समय बिताते हैं। इस प्रकार, लोग अब दिवाली को न केवल खुशी और उल्लास के रूप में, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक की तरह भी मनाने लगे हैं।
दिवाली का संदेश
दिवाली हमें यह सिखाती है कि अंधकार चाहे जितना गहरा हो, प्रकाश हमेशा उसे हराने के लिए तैयार रहता है। यह त्योहार न केवल बाहरी दुनिया की रोशनी की बात करता है, बल्कि हमारी आत्मा की रोशनी को भी जागृत करता है। यह हमें यह संदेश देता है कि हमें अपनी अंदर की बुराईयों को नष्ट करके अच्छाई की ओर बढ़ना चाहिए।
इसके अलावा, दिवाली का त्योहार समाज में प्रेम, भाईचारे और एकता का संदेश भी देता है। यह हमें एक दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ मनाने, प्यार बाँटने और समाज के विकास में योगदान देने की प्रेरणा देता है।
समाप्त
दिवाली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता और आशा का प्रतीक है। यह हमें अपने अंदर के अंधकार से बाहर निकलने और जीवन में खुशियाँ और समृद्धि लाने की प्रेरणा देता है। दिवाली का पर्व हर साल एक नई शुरुआत का प्रतीक बनकर हमारे दिलों में उमंग और खुशी का संचार करता है।